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गोरखपुर

योगी सरकार को बड़ा झटका, आक्सीजन कांड के आरोपी डाॅ.कफिल खान सभी आरोपों से बरी

दो साल पहले बीआरडी मेडिकल काॅलेज में तीन दर्जन से अधिक बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी से हो गई थी
डाॅ.कफिल खान पर लापरवाही और सिलेंडर चोरी का आरोप लगा था, जबकि जांच रिपोर्ट में बताया गया कि
कफिल ने बच्चों की जान बचाने की कोशिश में लगे रहे

गोरखपुरSep 27, 2019 / 01:58 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

आक्सीजन कांड के आरोपी डाॅ.कफिल खान सभी आरोपों से बरी, जांच रिपोर्ट में सच आया सामने, सरकार कटघरे में

आक्सीजन कांड के आरोपी डाॅ.कफिल खान सभी आरोपों से बरी, जांच रिपोर्ट में सच आया सामने, सरकार कटघरे में

बीआरडी मेडिकल काॅलेज में आक्सीजन की कमी से हुई बच्चों के मौत मामले में प्रदेश सरकार के निशाने पर रहे व मुख्य आरोपी बनाए गए डाॅ.कफिल खान को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। आक्सीजन की कमी के चलते बीआरडी मेडिकल काॅलेज में 2017 के अगस्त में तीन दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी।
प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की जांच प्रमुख सचिव खनिज व भूतत्व विभाग की अध्यक्षता में गठित कमेटी से कराई गई थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार डाॅ.कफिल ने आक्सीजन की कमी के बाद मची अफरातफरी के बीच बच्चों की जान बचाने की कोशिश की थी न कि उनकी लापरवाही से बच्चों की मौत हुई। जांच की रिपोर्ट गुरुवार को अधिकारियों ने डाॅ.कफिल को दी।
यहां बता दें कि बीआरडी मेडिकल काॅलेज के निलंबित प्रवक्ता डाॅ.कफिल खान को इस मामले में आठ महीना तक जेल में बीताना पड़ा था। कई बार जमानत खारिज होने केबाद काफी दिनों बाद उनको जमानत मिली थी।
क्या है जांच रिपोर्ट में

इस मामले के जांच अधिकारी प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार ने बीते 18 अप्रैल को जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार आक्सीजन खत्म होने वाली रात डाॅ.कफिल ने बच्चों को बचाने की भरपूर कोशिश की थी। स्थिति पर काबू पाने के लिए हर कोशिश की थी। आक्सीजन खत्म की स्थिति आने के बारे में पहले ही वह अपने उच्चाधिकारियों को बता चुके थे लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। यही नहीं उस वक्त वह इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अफसर के चार्ज पर भी नहीं थे।
एक एक कर सब जमानत पर छूट गए

10 अगस्त को बीआरडी मेडिकल काॅलेज में लिक्विड आॅक्सीजन की सप्लाई रोके जाने के बाद तीन दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चों की मौत के बाद देशभर में सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। पहले तो सरकार आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत को नकारती रही लेकिन बढ़ते दबाव पर मेडिकल काॅलेज के तत्कालीन प्राचार्य डाॅ.राजीव मिश्र, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ल, डाॅ.कफिल खान, आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी सहित नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया। कुछ को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया तो कुछ ने आत्मसमर्पण किया था। करीब आठ महीने से ये लोग जमानत के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन याचिका नामंजूर हो जा रही थी। लेकिन बीते दिनों आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर करते हुए जमानत दे दी। भंडारी की जमानत के बाद डाॅ.कफिल खान की जमानत को भी हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी। धीरे धीरे सभी आरोपी जमानत पर बाहर आ गए।
जेल से चिट्ठी लिखकर सुर्खियों में थे डाॅ.कफिल

डाॅ.कफिल की जेल में रहने के दौरान करीब दस पन्नों की चिट्ठी काफी सुर्खियों में रही थी। डाॅ.कफिल खान की चिट्ठी ने बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद पहली बार डाॅ.कफिल खान इस मामले में अपनी सफाई दी थी। जेल में मिलने गई पत्नी डाॅ.शाबिस्ता को डाॅ.कफिल ने पत्र सौंपा जिसे परिवारीजन ने जारी किया था। चिट्ठी का मजमून साफ तौर पर यह इंगित कर रहा था कि आक्सीजन कांड में प्रशासनिक लापरवाही को छुपाने के लिए उनको सलाखों के पीछे धकेला गया है। दस पेज के इस पत्र के पांचवे पेज पर डाॅ.कफिल ने लिखा था कि मेरी जिन्दगी में उथल-पुथल उस वक्त शुरू हुई जब 13 अगस्त की सुबह मुख्यमंत्री योगी महाराज अस्पताल पहुंचे। बकौल कफिल, उन्होंने कहा तुम हो डॉक्टर कफील जिसने सिलेंडरों की व्यवस्था की। मैंने कहा, हां सर। फिर वह नाराज हो गए और कहने लगे कि तुम्हें लगता है कि सिलेंडरों की व्यवस्था कर देने से तुम हीरो बन गए। फिर बोले कि मैं देखता हूं इसे।
डाॅ.कफिल ने पत्र में लिखा कि योगी जी नाराज थे क्योंकि यह खबर किसी तरह मीडिया तक पहुंच गयी थी। लेकिन मैं अपने अल्लाह की कसम खाकर कहता हूं कि मैंने उस रात तक इस सम्बन्ध में किसी मीडिया कर्मी से कोई बात नहीं की थी। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि इसके बाद पुलिस ने हमारे घरों पर आना शुरू कर दिया। धमकी देना, मेरे परिवार को डराना शुरू हो गया। हमें यह चेतावनी भी दी गई कि मुझे एनकाउंटर में मार दिया जायेगा। मेरा परिवार, मेरी मां, मेरी बीबी-बच्चे सब किस कदर डरे हुए थे इसे बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। फिर मैंने परिवार के लिए सरेंडर कर दिया। मुझे यह विश्वास था कि मुझे न्याय जरूर मिलेगा।
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